
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव भले ही 2026 में होने हैं, लेकिन सियासी तापमान अभी से 44 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है। मेरठ में समाजवादी पार्टी की समीक्षा बैठक इस बार कामकाज की नहीं, ‘कम हाजिरी’ की समीक्षा बन गई।
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समीक्षा बैठक या आरोपों की चौपाल?
सपा के जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी ने समीक्षा बैठक में शामिल न होने वाले नेताओं को जमकर ‘समीक्षा’ दी। नेताओं पर ऐसा ‘राजनीतिक रॉकेट’ दागा कि श्रोता तालियां बजाएं या मुंह छिपाएं – तय नहीं कर पाए।
विपिन चौधरी बोले, “ये जो नेता नहीं आए हैं, ये सब दिखावे की खेती कर रहे हैं। संगठन का नाम लेकर खुद को उम्मीदवार समझते हैं, लेकिन ज़मीन पर तो एक पोस्टर भी नहीं लगाते। ये सब चोर हैं!”
हाँ जी, आपने सही पढ़ा – ‘चोर’! अब ये तो तय है कि अगली बैठक में कुछ नेता हेलमेट पहन कर आएंगे।
“मैं यहीं पला-बढ़ा हूं…” – लोकल कार्ड खेलने का सीज़न शुरू!
विपिन जी ने भावनात्मक ब्रह्मास्त्र भी छोड़ा: “मैं मेरठ का बेटा हूं। यहां की मिट्टी, यहां की चाय और यहां की सड़कों की टूटी पटरी तक जानता हूं।”
इतना इमोशनल टच तो टीवी सीरियल में भी नहीं आता।
नेता दिल्ली में, कार्यकर्ता ज़मीन पर
जिलाध्यक्ष ने एक तीर और छोड़ा – “जब अखिलेश यादव दिल्ली में होते हैं, तब ये नेता उनके आगे-पीछे होते हैं। लेकिन जब ज़मीन पर काम करने की बारी आती है, तो सबके मोबाइल नेटवर्क आउट ऑफ सर्विस हो जाते हैं।”
लगता है मेरठ की हवा में अब सियासी WiFi की सख्त ज़रूरत है।
2027 का सेमीफाइनल, 2026 की तैयारी से शुरू!
पंचायत चुनाव, विधानसभा 2027 का सेमीफाइनल है। ऐसे में यदि पार्टी में अभी से ‘हिट विकेट’ होने लगे तो खेल शुरू होने से पहले ही आउट होने का डर रहेगा।
सवाल यह नहीं कि बैठक में कौन आया, सवाल यह है कि अब जनता इस सियासी नौटंकी को कितना एन्जॉय करेगी।
मेरठ की यह मीटिंग, यूपी की राजनीति का ट्रेलर भर है। पंचायत चुनाव से पहले ही अगर पार्टी में ‘चोर-चोर’ खेलने की नौबत आ गई है, तो चुनावी रण में क्या होगा – सोचिए मत, तैयार हो जाइए।
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